विश्व मधुमेह दिवस पर पत्रकार वार्ता,मधुमेह की भ्रांतियां दूर होना जरूरी - डॉ. अशोक जैन
संजय शर्मा
संपादक हैलो -धार पत्रिका
धार- मधुमेह के रोगियों में जो भ्रांतियां है उन्हें दूर करने की आवश्यकता है। साथ ही आम लोगों को मधुमेह के खतरे से पहले ही जागरुक होना होगा। जिस तेजी से मधुमेह के रोगी बढ़ रहे है। उसे नियंत्रित करने के लिए जागरूकता ही एक सबसे बड़ा कदम है। इसके अभाव में जो रोगी है वे कई तरह की जटिलताएं पैदा कर लेते है, जिससे परेशानियां बढ़ जाती है। इसलिए अपने और अपने परिवार को मधुमेह के प्रति शिक्षित करके तथा उसके जो सामान्य खतरे और भ्रांतियां है, उसके प्रति जागरूक होना जरूरी है।
विश्व मधुमेह दिवस पर रविवार रात को धार में आयोजित पत्रकार वार्ता में मधुमेह व ह्दय रोग के विशेषज्ञ डॉ. अशोक जैन ने बताया कि खराब जीवनशैली, लोगों में मधुमेह की सामान्य जानकारी का अभाव तथा अनियंत्रित मधुमेह से धीमे-धीमे होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति लापरवाही ही वास्तव में मधुमेह के रोगियों की बढ़ती संख्या व इसकी जटिलता के लिए जिम्मेदार है।
डॉ. अशोक जैन ने बताया कि वर्ष 2018-19 के लिए इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन द्वारा दिए गए स्लोगन ‘द फैमिली एंड डायबिटीज’ यानी मधुमेह एवं परिवार दिया गया है। फेडरेशन ने इस बारे में कहा कि किस तरह से किसी को मधुमेह होने पर पूरे परिवार का नुकसान होता है। साथ ही किस तरह से परिवार के सदस्यों में मधुमेह शिक्षा व जागरूकता फैला कर मधुमेह व इसकी जटिलताओं जैसे अंधत्व, ह्दय रोग, गुर्दे के रोग, पक्षाघात, पैरों के घाव व कटने की नौबत से बचा जा सकता है। डॉ. अशोक जैन ने मधुमेह के जोखिम भरे तथ्यों यानी रिस्क फैक्टर्स के बारे में भी जानकारी दी। इसके तहत उन्होंने बताया कि वंश में मधुमेह का होना, अनियमित भोजन, श्रमहीन दिनचर्या, मोटापा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च ब्लड प्रेशर, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह होना, वे महिला जिन्होंने 4 किलोग्राम से अधिक वजन के बच्चे को जन्म दिया, हो वे बच्चे जिनका जन्म के समय 2 किलोग्राम से कम हो व बड़े होने पर वजन अधिक हो गया। मधुमेह के बारे में बताया कि रक्त में ग्लूकोज का स्तर एक निर्धारित सीमा से अधिक हो जाता है तो उस स्थिति को मधुमेह कहते हैं। रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने का कारण इंसुलिन नामक हार्मोन की या उसकी कार्यदक्षता की कमी यानी इंसुलिन रेजिस्टेंस का होना है। मधुमेह के सामान्य लक्षण जैसे ज्यादा भूख लगना या फिर वजन घटना, बार-बार पेशाब आना, अधिक प्यास लगना, थकान महसूस होना, जननांगों में खुजली आदि है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रारंभिक अवस्था में बिना लक्षणों के भी मधुमेह हो सकता है। जिसे रक्त की जांच द्वारा ही पता किया जा सकता है। अतः संभावित मधुमेह रोगियों में रक्त की जांच 25 वर्ष की उम्र के बाद प्रतिवर्ष व सामान्यतः जब कम से कम 40 वर्ष की उम्र के पार हो तो कराना ही चाहिए। मधुमेह की रोकथाम व नियंत्रण के बारे में डॉ. अशोक जैन ने बताया कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रण, तंबाकू, धूम्रपान, शराब तथा अन्य जंक फूड व फास्ट फूड का त्याग करके किया जा सकता है। साथ ही नियमित चिकित्सकीय जांच व जरूरत पड़ने पर दवाओं व इंसुलिन के प्रयोग से मधुमेह व उसकी जटिलता को नियंत्रित किया जा सकता है। जिस तरह से इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन का भी सूत्र वाक्य है कि ‘द फैमिली एंड डायबिटीज’ उसी पर जोर देते हुए उन्होंने बताया कि डायबिटीज के स्वयं के मैनेजमेंट व स्वयं जागरूक और उससे संबंधित शिक्षा यानी स्वयं प्रबंधन से मधुमेह जैसी महामारी से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो मानक निर्धारित हुए हैं। उसके अनुसार धार जिले की जनसंख्या में करीब 80 हजार मधुमेह रोगी हो सकते हैं। इस बारे में उन्होंने बताया कि मधुमेह के प्रति सामान्य जानकारी जैसे इन के लक्षणों, उससे जुड़ी हुई जटिलताओं को समझना, ग्लूकोमीटर से घर पर शुगर के स्तर की जांच करना, घर पर ही बीपी देखना, अपने पैरों की देखभाल, कम ब्लड शुगर वाली स्थिति को समझना जरूरी है। साथ ही उचित समय पर अपने ही आहार परिवर्तन व इंसुलिन मात्रा समायोजित करना आदि से प्रबंधन किया जा सकता है।
पत्रकारवार्ता में डॉ. जैन ने बताया कि शुगर का स्तर नियमित आहार, व्यायाम और दवाईयों से ही नियंत्रित रखा जा सकता है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि टाइप वन की डायबीटीज बच्चों की ही बीमारी है तथा इसका एकमात्र इलाज इंसुलिन है। मधुमेह चिकित्सा में इंसुलिन चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा जैसी है। जिसकी अच्छी आदत आपके शरीर के दीर्घकालिक फायदे के लिए है। आजकल इंजेक्शन अनपढ़ व्यक्ति भी लगा लेते है। पांच से दस मिनट में इसे सीखा जा सकता है। साथ ही यह दर्दरहित भी है। रक्तदान करने के बारे में पूछे गए प्रश्न पर डॉ. जैन ने कहा कि मधुमेह के रोगी भी रक्तदान कर सकते है। वहीं एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से आहार, व्यायाम, वजन नियंत्रण व दवाओं तथा इंसुलिन के उपयोग से मधुमेह नियंत्रण संभव है। शॉर्टकट के तरीके से शरीर को खतरा रहता है। मधुमेह को जड़ से समाप्त करने के अनेक नुस्खे और दवाइयां भारत में उपलब्ध है। लेकिन इसके बावजूद विश्व के अन्य देशों से ज्यादा मधुमेह के रोगी भारत में है। साथ ही बढ़ते ही जा रहे हैं।
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