पार्टी ने मेरे साथ अन्याय किया है पर अब मुझे जनता न्याय दिलाएगी ,लड़ूंगा चुनाव स्थानीय वाद के साथ और जीतूँगा भी
धर्मेंद्र अग्निहोत्री
हैलो धार
बदनावर - भाजपा के वरिष्ट नेता राजेश अग्रवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक दी हे ! अपनी जिनिंग फैक्ट्री पर प्रत्रकार वार्ता आयोजित की व बताया की जनता मुझे टिकट दे रही है मैं जनता का उम्मीदवार हूं दिनाकं 6 नवम्बर मंगलवार को 11 बजे निर्दलीय और भाजपा उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरूंगा मुझे कोई समर्थन दे या ना दे पर जनता की आवाज पर में पीछे नहीं हटुंगा इस बार स्थानीय आठों उम्मीदवारों ने एकजुट होकर पार्टी के सामने प्रस्ताव रखा स्थानीय में से टिकट देने के लिए फिर भी पार्टी ने बाहरी नेता को ही उम्मीदवार बनाया अब लड़ाई आर या पार की होगी
पिछली बार दिया था लाली पॉप
अग्रवाल पिछली बार भी दमखम से समर्थको के साथ फॉर्म भरने गए थे लेकिन पार्टी प्रमुखों ने दूसरे पदों का प्रलोभन देकर और पार्टी के ईमानदार कार्यकर्ता होने का हवाला देकर नामंकन फॉर्म उठवा दिया था लेकिन आज की स्थिति में इतना त्याग करने के बाद भी अग्रवाल प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भी नहीं है या यह कहा जाए कि स्थानीय नेताओं को खत्म करने की भाजपा में साजिश चल रही है और में इसमें सफल नही होने दूंगा
जनसंघ के समय से समर्पित है पूरा परिवार पार्टी के प्रति
अग्रवाल के पिता और दादा भी जनसंघ के समय से भाजपा के लिए कार्य करते आ रहे हैं पूरा जीवन भाजपा को समर्पित कर दिया लेकिन फिर भी पार्टी उन्हें मौका ना देकर बाहरी नेताओं को बढ़ावा दे रही है बदनावर एक शिक्षित और सक्रिय जनता की विधानसभा है यहां दोनों ही पार्टी में जनाधार वाले नेता हैं लेकिन फिर भी दोनों ही पार्टियां पैराशूट वाले नेताओं को टिकट देकर स्थानीय नेताओं और जनता का मनोबल तोड़कर अन्याय कर रही हैं इस तरह के समीकरण से बदनावर की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है कांग्रेसी से दत्तीगांव और भाजपा शेखावत दोनों ही पशोपेश में है क्योंकि स्थानीय वाद पर जनता अपना विचार बदल सकती है हालांकि राह कांग्रेस की भी आसान नहीं है क्योंकि उनके पिछले 5 साल रिक्त हैं और आगामी विशेष रणनीति नहीं है भाजपा सवर्णों और जयस से निपटने हेतु और शेखावत की भी राह अग्रवाल आसान नहीं होने देंगे क्योंकि उनके टिकट की खुशी के पटाखे भी उनके पुत्र ने आकर फुडवाए इसका मतलब वरिष्ठ स्थानीय नेता उनके साथ नहीं है जीपी सिंह भी फार्म भर चुके हैं दोनों ही पार्टी के लिए यह अस्तित्व का चुनाव है कांग्रेस में तो स्थानीय बड़े नेता बचे नहीं हैं कहीं वही स्थिति भाजपा की ना हो जाए
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