राज परिवार एवं ग्रामवासियों ने आज भी जिंदा रखी है वर्षों पुरानी परंपराऐं
धर्मेंद्र अग्निहोत्री
हैलो -धार
बदनावर- ग्राम बिडवाल में लगने वाले वीर तेजाजी महाराज के मेले में आज भी नई ऊर्जा का संचार देखने को मिलता हैं बिडवाल राजघराने के राजा फतेह सिंह जी ने 1668 से जो धार्मिक आयोजनों व आयोजन कर्ताओं के स्वागत सत्कार की जो परंपरा चालू की वह आज भी उनके वंशज निभा रहे हैं बिडवाल राजघराने के कुंवर ध्रुवनारायण सिंह बिडवाल बना आज भी प्रमुख त्योहारों तेजा दशमीए होली दीपावली ढोल ग्यारस मोहर्रम सभी पर्व ग्राम वासियों के साथ सौहार्द के साथ मनाते हैं एवं राजघराने के प्रति ग्रामीणों का स्नेह आज भी यह बताता है कि राजघराना आज भी इन ग्रामीणों को अपना परिवार मानता है एवं समय समय पर सहभागिता कर उत्साह से धार्मिक एवं समाजिक कार्यो में अपनी महती भूमिका निर्वहन करते हे क्षेत्र में यह एक अनूठी परंपरा है तेजा दशमी के अवसर पर भी बिड़वाल एवं आस पास के ग्राम ओसरए बढ़वईए गंदवादाए कालीबथोर और लालियाखाली से लोग निशान लेकर राजमहल में आते है निशान का राज परिवार द्वारा ससम्मान पूजन अर्चन के बाद मन्नत धारियों को स्मृत चिन्ह भेट कर उनसे आशिर्वाद लिया जाता है मन्नत धारियों द्वरा तेजाजी महाराज के मंदिर पर निशान चढ़ाए जाते हैं परंपरा अनुसार जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वह तेजा दशमी पर अपने निशान मंदिर पर ही छोड़ जाते हैं और शेष मन्नत धारी अपने निशान को अपने साथ ले जाते ऐसी मान्यता है कि निशान अपने आप में एक शुभ वस्तु है इसलिए ग्रामीण इसका कुछ भाग अपने घर ले जाते हैं यह शुभ माना जाता है इसलिए ऐसा किया जाता है निशान का बचा हुआ हिस्सा नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है निशान चढ़ाने के साथ ताती भी तोड़ी जाती है सत्य वीर तेजाजी महाराज के जन्मदिवस पर बदनावर कानवन बखतगढ़ घटगारा बोराली खेरवास आदि कई ग्रामीण अंचलों में इस तरह के आयोजन उत्साह के साथ किए जाते हैं। सुबह से ही मंदिरों में दर्शनार्थियों का एवं मन्नत धारियों का तांता लग जाता है ग्रामीण अंचल में प्रत्येक घर से भक्त जन मंदिर पहुंचकर तेजाजी महाराज का पूजन अर्चन करते हैं कई ग्रामीण तो अपना कामकाज बंद रखकर हजारो की संख्या में आयोजन में सहभागिता करते हैं
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