आस्था का केंद्र बना बदनावर नगर का धांगा बाबजी का मंदिर
धर्मेंद्र अग्निहोत्री
हैलो धार संवाददाता की रिपोर्ट
बदनावर- बदनावर बडी चोपाटी से काश्यप फेक्ट्री के पीछे बना हुवा भेरुजी का मन्दिर आस्था का केंद्र बना हुआ है दूर दूर से श्रद्धालु यहां पर मन्नत लेकर आते हैं ओर मन की मुरादे पूरी करके जाते हे बाबा सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं मनोकामना पूर्ण होने पर लोग श्रद्धा और भक्ति से भेरुजी जी के यहां पर पालना बांधते हैं प्रति रविवार भेरु बाबा के यहा दर्शनार्थियों की भिड लगाती है
केदार सेठ के प्रयासों से मंदिर बना आकर्षण का केंद्र
वीरान जंगल में बने धांगा बाबजी के यहां कुछ समय पहले व्यवस्था के नाम पर साज सज्जा के नाम पर कुछ नहीं था दर्शनार्थी तो आते हैं पर आसपास में छाई अव्यवस्थाओं के कारण यहां पर ज्यादा देर तक नहीं ठहरटे थे पर ट्रांसपोर्टर केदार सेठ के प्रयासों व अपने व्यक्तिगत खर्चे से सर्वप्रथम गेट निर्माण व तार फेंसिंग करवाई गई भेरुजी के मन्दिर के ठीक नीचे कुंड बना हुआ है जिसमें गाद व गंदगी फैली हुई थी गाद निकालकर व कुंड की सफाई कर कुंड में 10 कछुए मछलियां छोड़ी गई साफ सफाई व गाद निकालने बाड़ आज वह अति शोभायमान कुंड लगता है सेठ प्रतिदिन सुबह मछलियों व कछुओं के खाने के लिए भी व्यवस्था करते हैं
सौंदर्य के लिए गार्डन ठहरने के लिए 4 लाख का भवन निर्माण करवाया
मंदिर पर सौंदर्यकरण के लिए पूरे ग्राउंड पर घास का प्लांट तेयार किया गया नारियल, जाम ,आम ,गुलाब, गेंदा चमेली के फूल बादाम अंजीर व कइ किस्म के पौधे विकसित किए गए वहीं ठहरने के लिए चार लाख की लागत के व्यक्तिगत खर्च पर भवन निर्माण भी करवाया जिसमें हवन कुंड पीठा सन आदि महात्माओं के लिए बनाए गए
वृक्षों को जीवित रखने के लिये खुद के खर्चे से करवाएं 2 बोर
गार्डन बनाने के बाद गार्डन को जीवित रखने के लिए केदार सेठ ने दो बोरिंग करवाएं जिसमें से एक में आज पर्याप्त पानी है इसी बोरिंग सए पाइपलाइन डालकर वाल लगाकर सभी पौधे तथा भूमिगत लाइन डालकर पौधों को पानी पिलाया जाता है व गर्मियों में भी पौधों को जीवित रखा जाता है
मंडी बोर्ड से हुआ था ग्राउंड में खड़ंजा
ग्राउन्ड निर्माण के लिये मंडी डायरेक्टर बोर्ड भोपाल सदस्य राजेश अग्रवाल से साल 2012 -13 मे खड़ंजा निर्माण की मांग की गई थी अग्रवाल ने मंडी निधि से 2012 13 में 2 लाख रुपए स्वीकृत कर कार्य को प्रारंभ करने के लिए नींव रखी थी
इस विषय पर केदार सेठ से बात करने पर बताया गया की कि मेरी आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है मेरा विश्वास इस मंदिर से जुड़ा हुआ है मैं हमेशा इस मंदिर को सजाने में और इसको दर्शनीय स्थल बनाने में कोई कसर नहीं रखूंगा जितना भी मुझसे हो सकेगा मे इस मन्दिर के लिये प्रयास रत रहूंगा
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