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Monday 20 August 2018

मामा शिवराज सिंह के हाथों IBC24 स्वर्णशारदा स्कॉलरशिप से सम्मानित हुए भांजे और भांजियां

मामा शिवराज सिंह के हाथों  IBC24 स्वर्णशारदा स्कॉलरशिप से सम्मानित हुए भांजे और भांजियां

हैलो धार 
           भोपाल-  बेटी पढ़ेगी, देश गढ़ेगी...इस सूत्र वाक्य को मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के विश्वसनीय न्यूज चैनल IBC24 ने साकार करने का बीड़ा उठाया है। आईबीसी24 देश का पहला ऐसा चैनल है, जो प्रतिभावान छात्राओं को पिछले 3 सालों से बड़ी संख्या में विशेष स्कॉलरशिप दे रहा है। इस छात्रवृत्ति का नाम है- IBC24 स्वर्णशारदा स्कॉलरशिप। इस आयोजन का चौथा पड़ाव आज 20 अगस्त को भोपाल स्थित विधानसभा के सभागार में हुआ। आयोजन में मध्यप्रदेश के 52 जिलों की 58 छात्राएं और 10 संभाग के 12 छात्रों को स्कॉलरशिप से नवाजा गया। साथ ही स्टेट टॉपर छात्रा और उसके स्कूल का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को श्रद्धांजलि स्वरुप ‘गीत नया गाता हूं’ नाम से एक प्रस्तुति भी दी गई। इसमें अटलजी की कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में एक कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों हुआ।
         मुख्य अतिथि की आसंदी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मेरे लिए सबसे ज्यादा खुशी का पल होता है कि जब मैं अपनी भांजियों-बच्चों के बीच में होता हूं। यह मेरा लाड़ है जो मुझे बच्चों से जोड़ता है। किसी भी कार्यक्रम में मैं जाता हूं तो बच्चों से मिलता हूं, हाथ मिलाता हूं, क्योंकि ये ही भारत का भविष्य है। उन्होंने इस बात के लिए खुशी जताते हुए आईबीसी 24 को धन्यवाद दिया कि इस वर्ष से छात्रों को भी स्कॉलरशिप दी जा रही है। पैसे के कारण प्रतिभा कुंठित न हो, ये राज्य सरकार का धर्म है, मेरी ड्यूटी है। उन्होंने गोयल ग्रुप और IBC24 के चेयरमैन सुरेश गोयल को नक्सल इलाके में स्कूल बनाने और शिक्षा देने के प्रयास के लिए और इस आयोजन के लिए बधाई दी।  मुख्यमंत्री ने छात्रों से अपील करते हुए कहा कि कोशिश करना, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। यह पड़ाव है, मंजिल अभी और आगे बढ़ना है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए बेटियों का सम्मान करने का आह्वान किया।
विधानसभा अध्यक्ष ने दी बधाई
         कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मप्र विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा ने कहा कि राजनेता यदि कोई विजन देता और उस पर खुद चलना प्रारंभ करता है तो फिर समाज उस पर चलना शुरु कर देता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक विजन देखा बेटी पढ़ाओ, तो बेटों ने कहा कि बेटे क्यों नहीं। मुख्यमंत्री ने फिर शुरु किया बेटे-बेटी पढ़ाओ। इसे आईबीसी24 ने आगे बढ़ाया है। जानकारी मिली कि गोयल ग्रुप बस्तर में एक स्कूल चला रहा है। हिंसा पीड़ित परिवारों के बच्चों को पढ़ा रहा है। यह भी जानकारी मिली कि रायपुर में भी एक स्कूल है जहां यह ग्रुप 400 बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहा है। इसके लिए समूह को बधाई। यहां छात्राओं ने मुख्यमंत्री से सीधी बात की, यह अवसर उन्हें गोयल ग्रुप ने उपलब्ध करवाया।
हमें अपने अंदर की शक्ति को पहचानना है : पवन सिन्हा
      इससे पहले सरस्वती वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई और फिर अध्यात्म गुरु पवन सिन्हा ने मौजूद छात्र-छात्राओं को टिप्स दिए। इसमें छात्रा-छात्राओं ने अपनी शंकाओं को लेकर सवाल पूछे, जिन पर गुरु सिन्हा ने उन्हें मार्गदर्शन दिया।
         उन्होंने कहा कि कार्यक्रम की शुरुआत में ही लक्ष्य की बात हुई, तो यहीं से आगे बढ़ते हैं। उन्होंने छात्रों से, उनके माता पिता से भी कहा, कि लक्ष्य मतलब नंबर्स। लेकिन ये साधन है, साध्य नहीं। नंबर्स से मंजिल तक जाने का रास्ता खुलता है, लेकिन मंजिल नहीं मिलती। लक्ष्य तो स्वयं को निर्धारित करना होता है। जब लक्ष्य स्वयं निर्धारित न हो और किसी और के कहे हुए रास्ते-लक्ष्य की ओर चल पड़ते हैं, पूरा न होने पर फ्रस्ट्रेशन होने लगती है। बहुत देर से समझ में आती है।
शिक्षा का मतलब सिर्फ विषय नहीं

        आध्यात्म गुरु ने कहा कि शिक्षा का मतलब सिर्फ सब्जेक्ट्स नहीं होता, शिक्षा का मतलब है मानसिक विकास, आपकी सोच का दायरा निर्धारित करना। जो लक्ष्य आप निर्धारित करते हैं, उस तक कैसे पहुंचा जाए ये रास्ता बताए वह शिक्षा है। लेकिन भारत में शिक्षा विषयों पर आधारित है। जिन लोगों के अंदर गुण होते हैं वे तरक्की कर जाते हैं, लेकिन हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी नहीं है कि जिन में वह गुण न हों उनमें उन्हे डेवलप कर सकें। मान लीजिए कि एक लक्ष्य निर्धारित किया कि आपको स्पीच देना है, लेकिन वहां स्पीच होती ही नहीं तो ये लक्ष्य कैसे प्राप्त करेंगे। ये बड़ी महत्वपूर्ण बात है। ये चीज आपके अंदर से ही आएगी। इसकी तैयारी, इसकी कोशिश आज से ही कीजिए, कल से नहीं।
         उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्धारित करना भी आसान नहीं है। इसमें कई महीने भी लग सकते हैं। यहां कई टॉपर्स मौज़ूद हैं, जिनसे हम सभी प्रेरणा ले रहे हैं। अध्यात्म गुरु ने छात्रों से पूछा कि टॉपर्स ने क्या लक्ष्य निर्धारित किया है। एक छात्रा ने आईएएस तो दूसरी ने आईपीएस बनने की चाहत जाहिर की। एक ने कहा कि वह चार्टर्ड एकाउंटेंट बनना चाहती है, वहीं एक अन्य ने बिजनेस वुमेन बनने की बात की। एक छात्रा ने आर्मी ज्वाइन करने की इच्छा जताई। इसी तरह अलग-अलग छात्रों ने बताया कि वे आगे चलकर क्या बनना चाहती हैं।
दुनिया, देश और समाज बदल रहा है
उन्होंने कहा कि एक छात्रा ने कृषि अधिकारी बनने की चाहत बताई है, ऐसे छात्र कम होते हैं। हममें से ज्यादातर लोग आईएएस बनना चाहता है। दरअसल बच्चों को पॉवर अट्रैक्ट करता है, इसलिए वे आईएएस, सीए बनना चाहते हैं। लेकिन ऐसे कम ही बच्चे भारत के आधार यानि एग्रीकल्चर बनना चाहते हैं। आज सालाना 2009 लोग कृषि कार्य छोड़ रहे हैं, ऐसे में सब आईएएस बन जाएं तो हम खाएंगे क्या, कभी किसी ने सोचा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा एक और फील्ड है, जो इन सब फील्ड को गवर्न कर सकती है। वह है राजनीति। ऐसा क्यों है कि राजनीति में कोई नहीं जाना चाहता। गुरु सिन्हा ने कहा, दुनिया बदल रही है, देश बदल रहा, समाज बदल रहा है। ऐसे में विचारों को खोलना चाहिए। ऐसे कई फील्ड्स/प्रोफेशन हैं, जिसमें कोई नहीं जाना चाहता। आप में से किसी ने नहीं कहा कि वह जर्नलिस्ट बनना चाहता है। किसी ने नहीं कहा कि वह शिक्षक बनना चाहता था। शायद इसलिए कि इसमें ग्लैमर नहीं है। ये गलत है। आजकल तो इसमें भी ग्लैमर है। मुझमें गुण नहीं था लेकिन मैं शिक्षक बनना चाहता था, और बना।
लक्ष्य को लिखें, सोचे नहीं
उन्होंने छात्रों को टिप्स देते हुए कहा कि, अपने सपनों को लिखो, अपने लक्ष्य को लिखें, सोचे नहीं। आप क्या-क्या कर सकते हैं, इसे लिखें। उन्होंने मौजूद छात्राओं की तारीफ की कि उन्होंने समाज को कुछ देने की इच्छा जाहिर की है। दूसरी बात लक्ष्य को कैसे पाएं, गुणों के माध्यम से, और खुद में गुणों को उत्पन्न कैसे किया जाए। 12 से 30 वर्ष की उम्र में ही गुण बनाने का आखिरी मौका होता है। एकाग्रता किसी के पास बहुत है तो वह विलक्षण स्थिति को प्राप्त कर सकता है और आपकी मेमोरी बहुत अच्छी  है तो आप दो से 3 काम एक साथ कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एकाग्रता और मेमोरी के लिए जरुरी है, कि पढ़ते वक्त मोबाइल और टीवी से दूर रहें। ये आपके दिमाग की मेग्नेटिक वेव्स को डिस्टर्ब करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने अंदर की शक्ति को पहचानना है। लगातार खुद को डेवलप करना पड़ेगा। खुद के मरे बिना स्वर्ग नहीं मिलता। आपको कुछ बड़ा करना है तो मेहनत भी खुद को करना पड़ेगा। सफलता के लिए मेहनत जरुरी है लेकिन असफलता से मायूस भी न हों।
बेटियों के सम्मान का यह कार्यक्रम अटलजी को समर्पित : गोयल
         इस मौके पर गोयल ग्रुप और IBC24 के चेयरमैन सुरेश गोयल ने अतिथियों और मौजूद सभी लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि यह इस आयोजन का चौथा वर्ष है। हमें 4 दिन पहले ही ऐसा आघात पहुंचा है जिससे हम कभी नहीं उबर पाएंगे। अटलजी के देहावसान के बाद सारा देश उन्हें याद कर रहा है। इसलिए हमने बेटियों के सम्मान का यह कार्यक्रम अटलजी को समर्पित किया है। आईबीसी24 परिवार उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। उन्होंने कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले छात्राओं को शुभकामनाओं के साथ आशीर्वाद दिया।
         श्री गोयल ने बताया कि स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप के तहत साल 2017-18 की 12वीं की परीक्षा में अपने-अपने ज़िले से टॉप करने वाली एक-एक छात्रा को 50-50 हज़ार रुपए की छात्रवृत्ति और प्रदेश में टॉप करने वाली छात्रा को 1 लाख रुपए की छात्रवृत्ति और टॉपर छात्रा के स्कूल को 1 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। वहीं प्रदेश के दस संभागों के टॉपर छात्रों को 50-50 हजार रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की गई।

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