क्षेत्रवासियों की आस्था का प्रतीक है कोटेश्वर धाम
वर्षभर चलती है अखंड राम धुन, श्रावण में लगती है श्रद्धालुओं की कतार
हैलो धार
बदनावर/कोद- हमारा मध्य प्रदेश ऐतिहासिक एवं प्राचीन इमारतों के लिए संपूर्ण देश में विख्यात है। प्रदेश के चप्पे-चप्पे की प्राचीन एवं ऐतिहासिक इमारतो की कलाकृतियां प्रमाणिकता और खासियत के साथ अपना एक विशेष महत्व भी रखती है। धार जिले में भी कई प्राचीन एवं धार्मिक विरासत है। ऐसी ही एक प्राचीन एवं धार्मिक महत्व की विरासत बदनावर तहसील मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर भगवान भोलेनाथ को समर्पित कोटेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हैं। इस प्राचीन तीर्थ एवं पर्यटन नगरी में बारिश के बाद पहाड़ियों पर चारों ओर छाई हरियाली यहां आए पर्यटकों का का मन मोह लेती है। बारिश के दिनों में कल-कल करते झरने भी अपनी और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां आये पर्यटक भाव-विभोर होकर आनंदित होतें है। कोद से 2 किलोमीटर दूर स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर में वर्ष भर पर्यटकों की आवा जाही बनी रहती है, प्रदेश में दूर-दूर से पर्यटक भगवान महादेव के दर्शन करने आते रहते हैं। श्रावण माह में प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर भगवान महांकाल का अभिषेक एवं दर्शन करने आते हैं, यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक अवकाश के दिनों में पहुंच कर दर्शन लाभ लेते हैं। कोटेश्वर धाम महू-नीमच मुख्य मार्ग पर कानवन से लगभग 12 किलोमीटर अंदर स्थित है। यहां पर महिला एवं पुरुषों के लिए अलग-अलग स्नान कुंड बने हुए हैं। श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को ठहरने के लिए धर्मशाला भी निर्मित है।
पांडवकालीन है मंदिर एवं मंदिर में विराजित महादेव
क्षेत्र में किदवंती प्रचलित हैं कि मंदिर का निर्माण चौदहवीं शताब्दी के पूर्व का हैं। इससें सम्बंधित कथा प्रचलित है कि भगवान श्री कृष्ण जब अमझेरा के अमका झमका मन्दिर से रुकमणी जी का हरण कर प्रस्थान कर रहे थे, तब श्रीकृष्ण यहां विश्राम के लिए ठहरे थें और भगवान श्रीकृष्ण ने शिवलिंग की स्थापना कर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कि थी जिसें लोग अब कोटेश्वर महादेव के नाम से जानते हैं।
वर्ष भर चलती रहती है अखंड राम धुन
जानकारों की माने तो मंदिर परिसर में वर्षभर अखंड रामधुन चलती रहती है। इसके लिए प्रबंधन समिति ने आसपास के ग्रामीण श्रद्धालुओं को माह कि प्रत्येक तारीख को एक दिन बांट रखा है। इसमें लगभग 31 गांव सम्मिलित है, जिसमें माह की प्रत्येक तारीख को हर एक गांव के श्रद्धालु का एक मंडल मंदिर परिसर में पहुंचकर अपनी बारी आने पर 24 घंटे निरंतर रामधुन का कीर्तन करते हैं, अगले दिन अगले गांव से मंडली आने पर वह अगली मंडली राम धुन में सम्मिलित हो जाती हैं यह क्रम निरंतर चलता रहता हैं।
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