सोयाबीन फसल में वायरस की रोकथाम के लिए आवश्यक सलाह
संजय शर्मा
संपादक हैलो धार
धार- उप संचालक कृषि आर.एल. जामरे ने बताया कि जिले में वर्तमान में सोयाबीन फसल में पीला मौजेक वायरस का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। सफेद मक्खी रसचूसक से यह रोग तीव्रता के साथ फैलता है। जिसकी रोकथाम के लिये कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को आवश्यक सलाह दी गई है। किसान थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यू.पी. 100 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर में छिडकाव करे। एन्थ्रेकनोज एवं पॉड ब्लाईट के प्रभाव देखने में आ रहा है जिसके नियंत्रण के लिये थायोफिनाइट मिथाइल 1 किलो, हेक्टेयर, टेबूकोनाझोल 625 मिली., हेक्टेयर अथवा टेबूकोनाझोल़सल्फर 1 लीटर हेक्टेयर अथवा हेक्झाकोनाझोल 500 मिली., हेक्टेयर अथवा पायरोक्लोस्ट्रोबिन 500 ग्रा., हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करे। कही-कही पर सोयाबीन की फसल में लाल मकड़ी का भी प्रकोप देखा गया है, जिसके नियंत्रण हेतु इथियान 1.5 ली. प्रति है. की दर से 500 ली. पानी के साथ छिडकाव करें। इसके साथ ही चने की इल्ली, सेमीलूपर के साथ-साथ तम्बाखू की इल्ली एवं सफेट मक्खी का प्रभाव भी शुरू हो गया है इसके नियंत्रण के लिये थायोमिथाक्समलेम्बडा सायहेलोथ्रीन 125 मिली., हेक्टेयर अथवा बीटासायफ्लूथ्रिऩ इमिडाक्लोप्रीड 650 मिली., हेक्टेयर अथवा इन्डोक्साकार्ब 330 मिली., हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी के छिडकाव करे।
कपास फसल में पिंकबाल्वार्म (गुलाबी इल्ली) का प्रभाव भी देखने में आया इसके नियंत्रण के लिये एमामेक्टिव बेंजोएट 5 प्रतिशत ई.सी. 0.4 मिली. प्रति लीटर पानी या थायोडिकार्ब 75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 1.5-2 ग्राम प्रति लिटर का छिडकाव करे। खरीफ फसलों की सतत निगरानी रखे तथा स्थानीय स्तर पर कृषि कार्यकर्ता से सम्पर्क करे एवं कार्यालय उप संचालक कृषि के नियंत्रण कक्ष के फोन नम्बर 7292-222285 पर जानकारी प्राप्त कर सकते है।
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